हे मेरा दगड़्यों, जन कि तुम जणदा ही छाँ, कि पुरणा जमना मा पिता परमेस्वर न हमरा पितरों का दगड़ा मा रैबर्यों का द्वारा कई बार अलग-अलग तरीका से बात कैरी।
अर बिस्वास का द्वारा ही पितर हाबिल न परमेस्वर तैं इन्द्रयो बलिदान चड़ै जु कि वेका भै कैन का बलिदान से उत्तम छौ। अर परमेस्वर न वेका बलिदान तैं अर वेतैं एक धरमी मनखि का रुप मा स्वीकार कैरी, हालांकि पितर हाबिल मोरि गै मगर फिर भि वेको बिस्वास आज हम लोगु खुणि एक सबक च।