अर सुणा, तुमतै ईं दुनियां का मुताबिक अपणु जीवन नि जीण चयेणु, पर पिता परमेस्वर का द्वारा तुम अपणा मन तैं नयू बणै के अपणा चाल-चलन तैं बदला। तब जैके तुम पिता परमेस्वर की मनसा तैं जाणि सकिल्या, कि कु जि बात वेतैं अच्छी लगदिन, अर कु जि बात छिन जु कि स्वीकार करण लैख छिन जौं मा कुछ भि गळत नि हो।
इलै हे मेरा भै-बैंणो, जब बटि हमुन तुमरा बारा मा सुणी, त हम भि तुम लोगु खुणि प्रार्थना कना रौन्द्यां। अर हम इन प्रार्थना करद्यां, कि तुम लोग पूरा आत्मिक तरीके से परमेस्वर का ज्ञान मा अर वेकी मनसा तैं बिंगण मा भरपूर होन्दी जा।