9 अर तीन दिनों तक ना त वु कुछ देखि सैकी, अर ना ही कुछ खै-पे।
9 वेल तीन दिन तक देख नि साकी अर वेल कुछ खै-पये भि नि च।
अर दमिश्क नगर मा हनन्याह नौ को एक बिस्वासी रौन्दु छौ। प्रभु न वेतैं एक दरसन देके बोलि, “हे हनन्याह,” अर वेन बोलि, “हाँ प्रभु।”
तब शाऊल भ्वीं मा बटि उठी, पर जब वेन अपणा आंखा तैं खुलि त वेतैं कुछ नि दिखैणु छौ, तब वेका दगड़्या वेको हाथ पकड़ी के दमिश्क नगर कू लि गैनी।