अर पवित्र आत्मा न मितैं बिन हिचकिचयां ऊंका दगड़ा मा जाणु कू बोलि, अर मेरा दगड़ा मा यू छह बिस्वासी भै भि उख जाणु कू पैटि गैनी। अर तब हम कुरनेलियुस नौ का एक मनखि का घौर कू ग्यां।
अर उ हमरा पास ऐ अर वेन पौलुस को पठुगु लिनी अर अपणा हाथ-खुटा बान्धि के बोलि, “पवित्र आत्मा इन बुल्दु कि, ‘जै मनखि को यू पठुगु च, वेतैं यरूशलेम नगर मा यहूदी लोग इन्नि बन्धला, अर ऊं लोगु का सुपुर्द कैरी द्याला जु लोग यहूदी जाति का नि छिन।’”
अर जब वु लोग आपस मा एकमत नि ह्वेनि, अर जाण लगि गैनी, तब पौलुस न ऊंकू बोलि, “जान्द-जान्द मेरी बात तैं सुणिल्या, यशायाह रैबर्या का द्वारा पवित्र आत्मा न तुमरा पितरों बटि ठिक ही बोलि छौ कि,
अर एक दिन इन ह्वे, कि प्रभु का एक स्वर्गदूत न फिलिप्पुस कू बोलि कि, “फिलिप्पुस चल, वु निर्जन बाटु जु दक्छिण दिसा की तरफा च अर यरूशलेम नगर बटि गाजा नगर कू जान्दु तू उख जा।”
फिर उ वे रथ का जनै भागी के गै, अर फिलिप्पुस न वे अधिकारी तैं यशायाह रैबर्या की किताब पढद सुणी। तब वेन वे बटि पूछी, “साब, तुम जु पढणा छाँ, क्या वु तुमरा बिंगण मा भि औणु च?”
अर जब ऊ पाणि बटि भैर ऐनी, त प्रभु की पवित्र आत्मा न फिलिप्पुस तैं उख बटि गैब कैर दिनी, अर वे अधिकारी उ नि देखि। अर वु अधिकारी बड़ु आनन्द मणौन्द-मणौन्द अपणा बाटा पर चलि गै।