अर ऊ सभ्या का सभि पवित्र आत्मा से भरपूर ह्वे गैनी। अर पवित्र आत्मा न अपणा मुताबिक ऊंतैं बोन्न की ताकत दिनी, अर वु बन्नि-बन्नि किसम की भाषा बोन्न लगि गैनी।
तब हनन्याह उख बटि उठी अर वे घौर जनै गै। अर जब हनन्याह वे घौर मा पौंछी, त वेन अपणु हाथ शाऊल पर रखी के बोलि, “शाऊल भै, जै प्रभु यीशु न त्वेतै वे बाटा मा दरसन दे छौ वेन ही मितैं इख तेरा पास भेजि, ताकि तू फिर से दिखण लगि जै अर पवित्र आत्मा से भरपूर ह्वे जै।”
इलै मि त्वेतै याद दिलै देन्दु, कि जब मिन तेरा मुण्ड़ मा हाथ रखी के प्रार्थना कैरी छै, तब परमेस्वर न जु दान-बरदान त्वेतै दिनी ऊंको इस्तेमाल आग सुलगौण की तरौं कैरा।
अर ना ही अब तुमतै ईं बात का बारा मा शिक्षा देण कि जरुरत च। जन कि, पाणि मा डुबकी लेके बपतिस्मा लेण का बारा मा, हाथ रखी के प्रार्थना करण का बारा मा या मुरदो मा बटि ज्यून्द होण का बारा मा, या फिर औण वळा बगत मा न्याय का बारा मा।