तब पतरस उख बटि उठी के भैर द्वार का पास गै, अर उख एक दुसरि नौकराणि न वेतैं देखि, तब वींन उख जमा होयां लोगु कू बोलि, “अरे यू मनखि भि त नासरत गौं का यीशु का दगड़ा मा छौ।”
अर जब घौर को मालिक उठी के द्वार बन्द कैरी द्यालु, तब तुम द्वार का भैर खड़ा ह्वेके खखटै के बोलिल्या, ‘प्रभु, हम खुणि द्वार खोली द्या।’ तब उ तुमतै जबाब द्यालु कि, ‘मि तुमतै नि जणदु कि तुम कखा छाँ?’