क्या तुमुन मितैं अभि तक नि पछ्याणी? अर क्या तुमतै याद नि च जब मिन पांच रुट्टीयों का द्वारा पांच हजारों तैं खिलै छौ? अर क्या तुमतै यू भि याद नि च कि तुमुन कथगा ठुफरा उठैनि?
अर यू बात मिन तुमतै इलै बतैनि, ताकि जब उ बगत आलु त तुमतै याद ऐ जौ, कि मिन यू सब पैलि ही तुमतै बतैयालि छौ। अर मिन यू बात शुरु बटि इलै नि बतैनि, किलैकि मि तुमरा दगड़ा मा छौ।”
अर खार खाण, दरोळया होण, गुलछरा उड़ौण, अर इन्नि और भि बात छिन। अर अभि भि मि तुमतै यों सब बातों का बारा मा उन्नि चितौणु छौं जन मिन तुमतै पैलि चितै छौ, कि जु लोग इन्द्रया काम करदिन वु परमेस्वर का राज का हकदार नि होला।
तुम अच्छी तरौं से ही जणद्यां कि जन बुबा अपणा नौनो तैं हिम्मत अर दिलासा देन्दु, ठिक उन्नि प्यारु व्यौहार हम भि तुमरा दगड़ा मा रखद्यां, ताकि तुमरो चाल-चलन परमेस्वर तैं पसन्द औण वळु हो। अर वु ही च जु कि तुमतै अपणा राज को सदस्य बणाणु खुणि अर अपणी महानता को भागी होणु खुणि बुलान्दु।
अर अब तुम वेका का बारा मा जणदा ही छाँ, कि जैन वे पाप का पुत्र तैं रोकी के रख्युं च, ताकि जब तक परमेस्वर का द्वारा ठैर्युं बगत नि ऐ जौ, तब तक उ परगट नि ह्वे सकदु।