हम जणदा छां कि ईं दुनियां मा हमरु सरील एक तम्बू की तरौं च, जैको कुई ठौ-ठिकाणु नि च अर एक दिन येको नास ह्वे जाण। मगर स्वर्ग मा हमरा पास पिता परमेस्वर की तरफा बटि मिलण वळु एक इन्द्रयो सरील होलु जैन सदनि तक रौण। अर यू सरील एक इन्द्रया तम्बू की तरौं च, जु कि मनखि का द्वारा ना पर पिता परमेस्वर का द्वारा बणयूं च।