“अर स्तिफनुस न ऊंकू इन भि बोलि कि, ‘हे जिद्दमार लोगु, तुम ऊं लोगु का जन किलै होणा छाँ जु परमेस्वर की बातों तैं सुनण अर मनण नि चनदिन, अर तुम हमेसा किलै पवित्र आत्मा को विरोध करद्यां? जन तुमरा पितरों न कैरी ठिक उन्नि तुम भि करद्यां।
अर परमेस्वर की पवित्र आत्मा तैं अपणा चाल-चलन से दुख नि द्या, किलैकि पवित्र आत्मा देके परमेस्वर न तुम पर अपणी मोर लगईं च, ताकि छुटकारा का दिन पर तुमतै छुडयै जौ।
इलै मि त्वेतै याद दिलै देन्दु, कि जब मिन तेरा मुण्ड़ मा हाथ रखी के प्रार्थना कैरी छै, तब परमेस्वर न जु दान-बरदान त्वेतै दिनी ऊंको इस्तेमाल आग सुलगौण की तरौं कैरा।