अर तुम न मितैं नि चुणी, बल्किन मिन तुमतै चुणी के ठैरैयालि ताकि तुम जा अर सफल ह्वे जा, अर तुमरो सफल होण बणयूं रौ अर जु कुछ भि तुम मेरा नौ से पिता बटि मंगिल्या, उ सब पिता तुमतै द्यालु।
पर पवित्र आत्मा को हमरा जीवन मा होण से इन गुण परगट होला जन कि, एक-दुसरा से प्यार करण, खुशी से रौण, शान्ति को जीवन, अर सबर रखण, दुसरो पर दया करण, भलै का काम करण, इमानदार रौण,
अर अगर कुई इन बुल्दु कि, “मि परमेस्वर से प्यार करदु,” मगर दुसरा लोगु से उ नफरत करदु हो, त ईं बात तैं जाणि ल्या कि इन्द्रयो मनखि झूठ्ठों च। किलैकि जौं लोगु तैं वेन अपणा समणि देखि, ऊं से उ प्यार नि कैरी सकणु च। अर जै परमेस्वर तैं वेन कभि नि देखि, त वेसे उ कनकै प्यार कैरी सकलु।