1 कुरिन्थि 8:1 - Garhwali1 हे मेरा दगड़्यों, अब मि ऊं चीजों का बारा मा बतौण चान्दु, जु कुछ भि मूरत का अगनै चड़ये जान्दु, वीं सच्चै का बारा मा तुम जणदा ही छाँ, अर वेका बारा मा तुम सभ्यों का पास पूरु ज्ञान च। अर अगर तुम कैं चीज का बारा मा जणदा छाँ, त याद रखा कि जादा ज्ञान होण से मनखि का मोन भौत चैड़ि जनदिन, पर अगर जु हम एक-दुसरा से प्यार करद्यां, त यां से एक-दुसरे की तरक्की होन्दी। အခန်းကိုကြည့်ပါ။गढवली नयो नियम1 तुम्हरी चिठ्ठी मा तुम ल मूर्तियों का संमणी चढ़यूं बलि कु खांणु का बारा मा पूछि छों, कि हम सभि यु बारा मा जंणदा छा; पर ज्ञान बड़ा मोन तैं पैदा करद, पर अगनैं बढ़ण मा हम एक-दुसरा की मदद प्रेम का दगड़ी करदां। အခန်းကိုကြည့်ပါ။ |
अर अगर कुई आदिम त्वेकू इन बोलो कि, “यू खाणुक त मूरत का अगनै भेंट मा चड़ये गै छौ।” त त्वेतै वे बुलण वळा मनखि की वजै से नि खाण चयेणु। पर अगर जु तू खाणि छैई त कखि इन नि हो कि उ त्वेतै देखि के अपणा मन मा इन सोचो की यू त द्यबतों तैं पूरु आदर-सम्मान देणु च। इलै हे मेरा दगड़्यों, मेरी आजादी दुसरा लोगु का द्वारा किलै परखै जौ।
हे मेरा भै-बैंणो, तुम अपणी सोच तैं छुटा बच्चों की तरौं नि बणा, बल्किन मा समझदार बणा। अर अगर जु तुम बच्चों की तरौं ही बणण चन्द्यां, त बुरै खुणि बणा। अर या बात मि इलै बोन्नु छौं, किलैकि बच्चा कै की बुरै का बारा मा नि सोचदिन। अर जख तक पिता परमेस्वर की खासियत का बारा मा बात च, त तुम लोग स्यांणा लोगु की तरौं सोच रखा।
पर फिर भि यू ज्ञान सब लोगु का पास नि च, किलैकि कुछ लोगु का बिंगण मा त अभि तक नि ऐ कि मूरतों मा कुई भि ताकत नि होन्दी। अर इन्द्रया लोग पैलि त मूरतों की पूजा करदा छा, अर ऊंका अगनै चड़ईं चीजों तैं खान्दा छा। अर अब जब वु लोग खाणुक खनदिन, त इन सोचदिन कि कखि यू मूरतों का अगनै चड़यूं खाणुक त नि च। तब ऊंको जमीर कमजोर होण की वजै से ऊंतैं दोषी ठैरान्दु, अर ऊ लोग इन बुल्दिन कि, “अरे, हम पाप कना छां।”
अर उ बिस्वासी समुदाय का सब लोगु तैं पूरि तरौं से एक कैरिके रखदु, ज्यां से की हरेक मनखि अपणा-अपणा बुलये जाण का मुताबिक काम कैरी सैको। अर समुदाय को हरेक मनखि इन इलै कैरो, ताकि हरेक बिस्वासी वचन मा अगनै बढी सैको। अर मसीह जु कि बिस्वासी समुदाय को मुण्ड़ च वेको पूरु सरील खूब रौ, हम हरेक दिन बढदी जां अर वेका प्यार मा जड़ भि पकड़दी जां।
मेरा दगड़्यों, चौकस रा, कखि कुई मनखि अपणी झूठ्ठी शिक्षा का द्वारा तुमतै पिता परमेस्वर से मिलण वळा इनाम से बेदखल नि कैरी द्यो, किलैकि झूठ्ठु मनखि लोगु तैं दिखौणु खुणि दीन बणदु अर स्वर्गदूतों की पूजा करण की बात सिखौन्दु, अर उ इन जोर देन्दु कि तुम भि ठिक इन्नि कैरा। अर इन्द्रया झूठ्ठा लोग बुलला कि ऊंन पिता परमेस्वर से सुपन्या मा दरसन का द्वारा यू ज्ञान पै, इलै ऊ अपणा विचारों पर बड़ु मोन करदिन, मगर सच्चै त या च कि ऊंका मनों मा यू विचार परमेस्वर की तरफा बटि नि छिन।
“मगर फिर भि तुमरा खिलाप मा बुलणु खुणि मि मा कुछ ही बात छिन कि तुमरा बीच मा कुछ लोग इन्द्रया छिन जु कि बिलाम की शिक्षा तैं मणदिन, हाँ, बिलाम जैन राजा बालक तैं सिखै छौ कि कुछ इन कैर, ज्यां से कि इस्राएली लोग मूरतों का अगनै अरपण मा चड़ईं चीजों तैं खा, अर ऊं खुणि इन जाल बिछौ कि ऊंका नौना सरील का गळत सम्बन्ध तैं ही पूरु करण पर लग्यां रा।
“मगर फिर भि तुमरा खिलाप मा बुलणु खुणि मि मा इन च कि तुम लोग वीं इजेबेल जनानि तैं अपणा बीच मा रौण देन्द्यां, ज्वा कि खुद तैं परमेस्वर की रैबर्या बतौन्दी, अर मेरा सेवकों तैं भटकौन्दि अर अपणी शिक्षा देके ऊंतैं सरील का गळत सम्बन्ध बणौणु खुणि, अर मूरतों का अगनै अरपण मा चड़ईं चीजों तैं खाणु खुणि उकसौन्दी च।