1 कुरिन्थि 7:35 - Garhwali35 अर जु कुछ भि मिन बोलि, वु सब बात तुमरा फैदा की छिन नऽ कि तुमतै फसौणु खुणि, बल्किन मा मि तुमतै वु करणु खुणि उकसौणु छौं, जु कि तुम खुणि सही च। अर इन मि इलै कनु छौं, ताकि तुम जौं को ब्यौ होयुं च या जौं को नि च होयुं, तुम सब लोग अपणु सब कुछ पिता परमेस्वर तैं दे द्या, हाँ जु कुछ तुमरा मन मा च। အခန်းကိုကြည့်ပါ။गढवली नयो नियम35 मि यु बात तुम्हरा भलै कु बुल्णु छों, न कि तुम तैं फसांणु कु, पर जन की ठिक च; कि तुम एक मन हवे के प्रभु की सेवा मा लगयां रां। အခန်းကိုကြည့်ပါ။ |
अर तुम मा बटि कुछ लोगु न अपणी अणविवाक नौन्यों का बारा मा मि बटि पूछी, कि ऊंतैं क्या करण चयेणु त मि ऊंतैं इन सला देन्दु कि, अगर कै अणविवाक नौनि को ब्यौ करण को सही बगत ऐ गै, अर वींका ब्वे-बाब वींतैं ब्यौ करण से रोका, अर वा फिर भि ब्यौ करण चाणि हो त वींतैं ब्यौ करण द्या, किलैकि इन कैरिके तुम वींका दगड़ा मा कुछ गळत नि कना छाँ।
इलै हे मेरा भै-बैंणो, कुछ और बात भि छिन जु की सच्चि अर सोच-विचार करण का लैख छिन, अर यू वु बात छिन जु कि साफ अर पवित्र छिन अर यों बातों बटि प्यार किये जान्दु, अर यू खुश कैर देण वळी छिन, अर यों मा हरेक किसम का गुण पये जनदिन, अर यों बातों की तारीफ किये जान्दी, अर यू वु बात छिन जौं पर लगातार तुमतै अपणु ध्यान लगौण चयेणु।
अर जु लोग दुसरो का दगड़ा मा सरील का गळत सम्बन्ध रखदिन, जन कि एक बैख दुसरा बैख का दगड़ा मा अर ठिक उन्नि एक जनानि दुसरि जनानि का दगड़ा मा सरील का सम्बन्ध रखदी हो, अर जु गुलाम लोगु तैं बिकौण को काम करदिन, झूठ्ठ बुल्दिन अर झूठ्ठी कसम खनदिन, अर जु लोग सच्चा उपदेस का विरोध मा जाळसाजि बणौन्दिन, इन्द्रया लोगु खुणि परमेस्वर का रैबर्या मूसा का द्वारा नियम-कानून दियूं च।