अर जब पौलुस उख बटि जाण लगि गै, त वेन इन बोलि के ऊं बटि विदै ले कि, “अगर जु परमेस्वर की इच्छा होलि, त मि तुम लोगु का पास फिर औलु।” तब पौलुस न इफिसुस नगर बटि पाणि का जाज से अपणी यात्रा शुरु कैरी।
अर जब अपुल्लोस कुरिन्थि नगर मा छौ, त पौलुस मैंल्या मुलक बटि ह्वेके इफिसुस नगर मा पौंछी। अर वेतैं उख कुछ बिस्वासी लोग मिलिनी, अर पौलुस न ऊं बटि पूछी कि,
पौलुस पिन्तेकुस्त का त्योवार तैं मनौण का बानो जथगा जल्दी ह्वे सकदु छौ यरूशलेम नगर कू जाण चाणु छौ, इलै वेन इन ठाणि की इफिसुस नगर का पास बटि ह्वेके चलि जौ, ताकि आसिया मुलक मा वेतैं जादा बगत नि लगु।
अर इफिसुस नगर का लोगु न मेरु बड़ु विरोध कैरी, अर ऊ मि पर जंगळि जानबर की तरौं कटणु कू ऐनी। अर अगर मुरयां लोगु तैं ज्यून्द नि किये जालु, त विरोध करण वळा लोगु का खिलाप मा जु कुछ भि मिन कैरी, वेको कुई फैदा नि ह्वे। तब हम भि इन बोलि सकद्यां कि, “अरे भोळ त हमुन भि मुरण ही च, चला, हम सब खूब खा-प्या।”