14 ओइन्के बोली सराप और क्रोधसे भरल बतिन।
14 “हुँक्र सरप्टीरठ ओ मनक तीत बातक फुर्का मर्ठ।”
सक्कु मेरिक तीत क्रोध और रीस, होहल्ला और निन्दा, सक्कु मेरिक रिस-डाह तुहुरे छोरदेऊ।
एक्केथो मुहेँमेसे आशीर्वाद और सराप दुनु निकरत। हे मोरिक विश्वासी भैयो, असिक नै हुई परना हो।