26 संसारके जाति-जातिनके मनै संसारके सक्कु खोब सुग्घुर-सुग्घुर चिजहे और अपन सम्पतिहे उ शहरमे नन्हीँ।
26 सब जातिक मनै उहाँ आपन मानसम्मान ओ धनदौलत अन्नेबाट।
उ शहरके चमक संसारमे रहुइया सक्कु जातिक मनैनहे ओजरार देहत, और पृथ्वीक सक्कु रज्वन अपन-अपन सम्पतिहे उ शहरमे नन्हीँ।