ताकि पवित्रशास्त्रक यी वचन पूरा होए: ‘मै ज्या करथुँ, उ ओइने हेरथाँ। पर ओइने यकर मतलब नै बुझ्थाँ। ओइने मोरिक बोली सुन्थाँ। पर ओइने नै बुझ्थाँ। तबेकमारे ओइने अपन पापसे दूर नै जैथाँ, नै ते परमेश्वर ओइन्के पाप माफ करदेतिन।’”
“परमेश्वर ओइन्के आँखी तुमदेहल बतिन। और ओइन्के मन सुस्त करादेले बतिन। असिके ओइने आँखीलेके ना देखिँत। और मनलेके ना बुझिँत। नै ते ओइने घुमजिहीँ, और महिन्हे ओइन्हे चोख्वाई परी।”