उ दिन तयारीक दिन रहे, जोन बिसैँना दिनसे आघेक दिन रहत। और यी वहे समय रहे, जोन हप्तामे निस्तार-तिहुवार मनाजाए। लगभग दुपहरके समय रहे। तब राजपाल पिलातस भीड़के मनैनहे कहल, “हेरो, तुहुरिन्के रज्वाहे!”
चौथा स्वर्गदूत अपन तुरही फुँकल। और सूर्यक एक तिहाई भागके उप्पर प्रहार करगिलस। और जोन्ह्यँक एक तिहाई भागके उप्पर और तोरैयँक एक तिहाई भागके उप्पर फेन कुछु ठक्कर खाइल। यकर कारण दिनके एक तिहाई समयसम सूर्य, जोन्ह्याँ और तोरैयँन अंधार होगिलाँ।