4 कट्का दिनसम्म ता ओहिं बिध्वाक् कहिने नहिंसुनिदेलकुन्। तर पाछुसे ओहिं आफ्नि मनमने बाज्लक्, ‘मुँइ परमेस्वरक् डर नामानम्। आउँ मानुसुहुँक् वास्ताउ नाहाँकरम्।
तसौ मालिकक् यरङ् कहिन् सुन्नेसौ उ मुल-चाकरेसेहे मनमने यन्हिं सोंच्लोक्, ‘असौ मोरा मालिके मोरालाइ जागिरक्भटे निस्कालाहार भेइ। असौ मुँइ किवा कर्बा? खेतिपाति करिहिन् खाम्ना बाजौ बुने, खन्जोट कर्बाक् बल बोइने, मानुसलकसङ्हिं भिख माङिहिन् खाउँ बुने मोरालाइ लाज लागइस्।
तसौ ओहिं मनमने यन्हिं बाज्बा ठाल्लक्, ‘मोरा खेत बारिक्भरे थुप्रोय अन्न उब्जाउ भेल रहैस्। असौ यि अन्न धर्बाक् ठाँओउ बोइने, कच्छि धर्बा भेका? असौ मुँइ किस् कर्बा?’
“कुन्हुँ एक्टा सहरै एक्जेना नियाँधिस रैल्हक्। ओहिं परमेस्वरक् डर नहिंमानै आउँ मानुसुहुँक्लाइ वास्ता नहिंकरेथ।
उहे सहरिहिमा एक्टा बिध्वा आको रैल्हक्। ओहिं घरि-घरि नियाँधिसक् ठालाइ जाहिन् बोलेक्, ‘मोरा आउँ मोरा बिरोधिक् बिचै नियाँ करिदे।’
ओट्का भेइसक्नेसौ अङ्गुरक् बारिक् धनिय यन्हिं बाज्लक्, ‘असौ मुँइ किस् कर्बा भेका? मुँइ आफ्निक् पियारो छावाक्लाइ पाठामिना। मोरा छावाक्लाइ ता पक्काय उखर्ह्वाइ टेर्थिला भेका।’