4 ह! असौ मुँइ किवा कर्बा पोर्लाहार मुँइ सम्झमिगे। मोरानि जागिरक्भटे निस्कायटौ मुँइ सङ्लक् बानाहिन् धरिबुने ता उखर्ह्वाइ दिठाइहालट्थ्ला भेकाते!’
तसौ मालिकक् यरङ् कहिन् सुन्नेसौ उ मुल-चाकरेसेहे मनमने यन्हिं सोंच्लोक्, ‘असौ मोरा मालिके मोरालाइ जागिरक्भटे निस्कालाहार भेइ। असौ मुँइ किवा कर्बा? खेतिपाति करिहिन् खाम्ना बाजौ बुने, खन्जोट कर्बाक् बल बोइने, मानुसलकसङ्हिं भिख माङिहिन् खाउँ बुने मोरालाइ लाज लागइस्।
ओक्राक्पाछु ओहिं आफ्निक् मालिकक् जम्माय रिन लेलाहारलकलाइ एकुन्जेना करिहिन् हाँख्रालाहा। ओहिं आगारि आइलाहारक्लाइ सोर्ल्होकुन्, ‘तुँइ मोरा मालिकक् कट्का रिन तिर्बाक् रहेस्ला?’
“मुँइ तोहोरानि बोल्मेहेर्ला, सन्सारक् सम्पतिसम् सङ्लक् बानाहो, आउँ जख्नि उ धनसम्पति सकेला, उखर्ह्वाइ तोहोराखर्ह्वालाइ अनन्तक् घरमाहा स्वागत करुस्।”