और जो कोऊ मान्स के पूत के बिरोध में कोऊ बात कै है, ऊको जौ पाप क्षमा करो जै है, पर जौन कोनऊ पवित्र आत्मा के बिरोध में कछु कै है, ऊको पाप न तो ई जुग में और न आबेवारे जुग में क्षमा करो जै है।
और ई संसार के जैसे न बनो; पर तुमाए समज के नए हो जाबे से तुमाओ चाल सोई बदलत जाबे, जी से तुम परमेसुर की साजी और भावती, और सिद्ध अभलाखा अनुभव से मालूम करत रओ।
मैं तुमाई देयां की कमजोरी के काजें मान्सन की रीत पे कैत आंव, जैसो तुम ने अपने अंगों को बुरए काम के लाने दलिद्दर और बुरए काम के चाकर कर के सौंपो हतो, ऊंसई अब अपने अंगों को पवित्रता के लाने धरम के चाकर कर के सौंप दो।
कायसे हम अपने हिये की जा बात मानत आंय, कि और ऊ पै बड़वाई करत आंय, कि संसार में और तुमाए बीच हमाई चाल परमेसुर को भाबेवारी पवित्तर और सांची हती, और ऐसो संसार के ज्ञान से नोंई, अकेले परमेसुर की दया से भई।
कायसे हम पेंला, मूरख और परमेसुर की अग्या न मानबेवाले, और दुबधा में हते, और भांत भांत की चाहना करत हते, और मजा मौज चाहत हते और अदावट धरें हते, और दूसरन को बुरओ सोचत हते, और बहुत घिना हते और दूसरन से बैर मानें हते।
हमाए पिता परमेसुर के लेखे में सुद्ध और साफ भक्ति जा आय, कि हम अनाथों और बिधवाओं की दुख पीड़ा में उन की सुध लेबें, और अपने आप हां संसार की बातन से दूर राखें।
जैसे उन ने तुम हां अपनाओ, और जिन में तुम बने आव; सो अब कोई हां तुम हां और नईं चिताने, कायसे बे तो आपऊ तुम हां सबरी बातें बतात आंय; कोऊ सांचो आय लबरा नईंयां, सो जौन बातें उन ने बताई उन हां मानो।