ई काजें कि बे परमेसुर हां जानत हते, तो भी उन ने परमेसुर की बड़वाई और धन्नबाद नईं करो, परन्त अपने हियन से बेकार के सोच विचार करन लगे, और उन कौ अज्ञानी मन अंधेरो हो गओ।
मोरे लौ सब कछु आय, और बिलात सोई आय: जौन बस्तें तुम ने इपफ्रुदीतुस के हाथन पठैई हतीं बे मोहां बहुतई साजी लगीं, बे मानो ऊ बली जैसे आय, जी की गन्ध और बलदान से परमेसुर खुस होत आय।
सो भईया हरौ, हम तुम से कैत आंय, और पिरभू के नाओं से तुम हां समझात आंय, जैसो तुमने तको आय, कि हम जैसो बे चाहत आंय, और जीसे खुस होत आय, ऊंसई रैत आंय, तुम सोई ऊंसई चलत आव सो अच्छे से आगे चलत चलो।