मैं जा बिन्तवारी करत आंव, कि तुमाए संग्गै मोहां निधड़क होकें ऐसो नईं करने आय; जैसे बिलात जनें हम हां अपने मन से चलबोवारो मानत आंय, बल से बात करो चाहत आंव।
जिते लाखों सरगदूत के संग्गै परमेसुर के प्यारे जनें जीके नाओं सरग में लिखे आंय; और परमेसुर जौन न्यायी आय उन के संग्गै आय, और अच्छे मान्सन की आत्मा जीने पापन की छिमा पाई आय।
प्यारे भईया हरौ, अबै तो हम परमेसुर के लड़का बिटिया कहात आंय, और अबै जौ पता नईंयां, कि हम और का हुईयें! इतनो पता आय, कि जब बे फिन के आहें तो हम सोई उन घांई हो जै हैं, और उन हां उनके सांचे रूप में तक हैं।