ऊने कई, “ऊ मोंड़ा पै हाथ नें बढ़ा, और नें ऊहों कछु कर; कायसे तेंने जो मोए सें अपने मोंड़ा, बल्कि अपने एकलौते मोंड़ा हों भी नईं रख छोड़ो; ईसें मैं अब जान गओ कि तें यहोवा परमेसुर कौ डर मानत आय।”
हम जानत आंय, कि जौन जनें परमेसुर से प्रेम राखत आंय, उन के लाने सबरी बातें भलाई हां उत्पन्न करत आंय, जाने के उनईं के लाने जौन ऊ की मन्सा अनसार टेरे गए आंय।
रोबेवारन जैसे आंय, अकेले खुस रैत आंय; कंगाल जैसे लगत, अकेले बिलात जन हां पईसावारे बना देत आंय, ऐसे दिखात मानों हमाए ऐंगर कछु नईंयां अकेले सब कछु धरो आय।