19 कायसे जौन साजे काम हां मैं करबो चाहत आंव, बो तो नईं करत, परन्त जौन बुरए काम की मन्सा मैं नईं करत, ओई करत आंव।
ऊ लगातार रात दिन कबरन में और पहरवन में चिल्लात हतो, और खुद हां पथरन से घायल करत हतो।
जौन मैं करत आओं, बो मैं नईं जानत, कायसे जो कछु मैं करो चाहत आंव, बो नईं करत, परन्त जीसे मोय घिन आत आय, ओई करत आंव।