17 तो ऐसी दसा में ऊकौ करबेवारो मैं नईं, परन्त पाप आय, जो मोय में बसो है।
कायसे मैं जानत आंव, कि मोय में जाने के मोरी देयां में कोनऊं साजी बस्त बास नईं करत, मैं चाहत तो आंव, पर भले काम मोसे नईं बन पड़त।
जदि मैं ओई करत आंव, जी की मन्सा नईं करत, तो ऊ को करबेवारो मैं न रहो, परन्त पाप जौन मोय में बसो आय।
परन्त मोय अपनी देयां में दूजे भांत की नेम व्यवस्था दिखात आय, जौन मोरी बुद्धि समज से लड़त आय, और मोय पाप अधर्म की नेम व्यवस्था के बन्धन में डालत आय जौन मोरे अंगों में आय।
कायसे मन से दान दओ जाबे तो बो ग्रहण होत आय, जौन उन लौ आय अकेले ऊसे जौन उन लौ नईंयां।