अब से मैं तुम हां गुलाम नईं कै हों, कायसे गुलाम नईं जानत, कि ऊ को मालक का करत आय, परन्त मैंने तुम हां संगी कहो आय, कायसे बे सब बातें जौन मैंने अपने बाप से सुनी आंय, तुम हां बता दईं आंय।
परन्त परमेसुर की बातें जीमें नीं जैसी बैठ गई आंय, उन पै ऐसी छाप लगी आय कि परमेसुर उन हां चीनत आंय; जो कोनऊं परमेसुर को नाओं जपत आय, बो अधरम से बचो रै है।