12 ई लाने नेम व्यवस्था पवित्तर आय, और हुकम सोई सई और साजो आय।
फिन तेंने सीनै पहरवा पै उतरकें आकास में सें उनके संगै बातें करीं, और उनहों सूदे नियम, सांची ब्यवस्था, अच्छी बिधियां और हुकम दए।
और ई संसार के जैसे न बनो; पर तुमाए समज के नए हो जाबे से तुमाओ चाल सोई बदलत जाबे, जी से तुम परमेसुर की साजी और भावती, और सिद्ध अभलाखा अनुभव से मालूम करत रओ।
तो का हम नैम व्यवस्था हां बिसवास के द्वारा अकारथ ठैरात आंय? कमऊं नईं; परन्त नैम व्यवस्था हां पक्को करत आंय।
हम जानत आएं कि नैम व्यवस्था तो आत्मिक आय, परन्त मैं अधर्मी और पाप के हाथ बिको भओ आंव।
जदि जौन मैं नईं चाहत और ओई करत आंव, तो मैं मान लेत आंव, कि नेम व्यवस्था भली आय।
हमें पता आय, कि मूसा को जैसो नैम आय ऊ पै चलै तो बो भलो आय।