16 का तुम नईं जानत, जीकौ हुकम मानबे हां तुम अपने आप हां चाकर घांई सौंप देत आव, ओई के चाकर आव: और जी की मानत आव, चाए पाप के, जीसे मौत मिलत आय, चाए हुकम मानबे से, जीकौ अन्त धार्मिकता आय।
कोऊ मान्स दो मालकन की चाकरी नईं कर सकत, कायसे बो एक से बैर और दूसरे से प्रेम रख है, या एक से मिलो रै है और दूसरे हां नैचों जान है; “तुम परमेसुर और धन दोई की भक्ति नईं कर सकत”।
परमेसुर ने अपनी ऊ प्रजा हां नईं छोड़ो, जिन हां ऊ ने पेंला से नबेरो हतो: का तुम नईं जानत, कि पवित्तर पोथी में एलियाह अगमवकता के लाने का कओ गओ आय; कि बो इस्राएल के विरोद में परमेसुर से बिन्तवाई करत आय।
ई लाने हे भईया हरौ, मैं तुम हां परमेसुर की दया की याद करा के बिन्तवाई करत आंव, कि अपनी देयां हां जीयत, और पवित्तर, और परमेसुर हां साजो लगबेवारो बलिदान कर के चढ़ाओ: जाई तुमाई आत्मिक सेवा आय।
का तुम हां जौ पता नईंयां, कि पवित्तर मान्स संसार कौ न्याव कर हैं? सो जब तुम हां संसार कौ न्याव करने आय, तो का तुम हलके से हलके न्याव निपटाबे के जोग नईंयां?
का तुम हां पता नईंयां, कि जौन न्याव बिलोरत आंय बे परमेसुर के राज में न जा पा हैं? ई धोखे में न रईयो, न बेश्या से संगतवारे, न मूर्ती पूजा करबेवारे, न दूसरे की तिरिया से संगत करबेवारे, न लुच्चे, न लुगुवा लुगुवा से संगत करबेवारे।
का तुम हां पता नईंयां? कि जौन पवित्तर बस्तन की चाकरी खुसामद करत आंय, बे मन्दर में से खात आंय; और जौन वेदी की सेवा करत आंय; तो जो कछु वेदी पे चढ़ाओ जात आय ओई में से खात आंय?
जदि यहोवा परमेसुर की सेवा करबो तुमहों बुरई लगे, तौ आज चुन लेओ कि तुम कौन की सेवा करहौ, चाए उन देवतन की जिनकी सेवा तुमाए पुरखा महानदिया के ऊ पार करत हते, और चाए एमोरियों के देवतन की सेवा करो जिनके देस में तुम रैत आव; परन्त मैं तौ अपने घराने समेंत यहोवा परमेसुर ही की सेवा हमेसा करहों।”