15 नेम व्यवस्था तो खुन्स उपजात आय और जिते नैम व्यवस्था नईंयां उते ऊकौ न मानबो कछु मतलब नईं राखत।
जदि मैं नईं आतो और उन से बतकाव नईं करतो, तो बे पापी नईं ठहरते, पर अब अपने पाप के लाने उन के ऐंगर कोई बहानो नईंयां।
जौन पूत पे भरोसा करत आय, अनन्त जीवन ओई कौ आय; वरन बो जौन पूत की नईं मानत, ऊहां जीवन नईं मिल है, परन्त परमेसुर को कोप ऊ पे बनो रहत आय।
कायसे ऊ में परमेसुर की धार्मिकता बिसवास से, और बिसवास के लाने उजागर होत आय; जैसे लिखो आय, कि बिसवास से धर्मी मान्स जीयत रै है।
नेम व्यवस्था के दए जाबे लौ पाप संसार में तो हतो, पर जिते नेम व्यवस्था नईंयां, उते पाप लेखो नईं जात।
हे मौत तोरो डंक कां रओ? मौत कौडंक पाप आय; और पाप कौ बल नेम व्यवस्था आय।
सो जितने जने नैम के काजन पै भरोसा करत आंय, उन सबरन हां श्राप मिल है, कायसे ऐसो लिखो आय, कि जौन नैम की पोथी में लिखी सबरी बातन नईं करत, बो श्रापित आय।
तो नैम को का भओ? बो तो बुरय कामन से बाद में मिली, कि ऊ वंस के आबे लौ रैबे, जीहां प्रतिज्ञा दई गई हती, और बा सरग के एक दूत के सामूं दई हती।
कोई तुम हां ऊं सई बातन से धोखा न देबे; कायसे ऐसे कामन से परमेसुर को श्राप अग्या न मानबेवारन पै होत आय।
परमेसुर ऐसे काज करबेवारे मान्सन से खुनसियात आय।
जौन पाप करत आय, बो परमेसुर के नैम हां तोड़त आय; और पाप नैम के तोड़बे से होत आय।
और उनके मों से एक चोखी तलवार कड़त आय, और बे लोहे को राजदण्ड लैके देश देश के मान्सन हां मार हैं और उनपै राज कर हैं, और परमेसुर के बड़े कोप से मदिरा के कुण्ड में दाखें रौंद हैं।