18 और ऊ की मनसा जानत और नैम व्यवस्था सीख के साजी साजी बातें तोय अच्छी लगत आंय।
कि तें जौ जान लेबे, कि बे बातें जिन की तें ने शिक्षा पाई आय, कितेक पक्की आंय।
और बो चाकर जौन अपने मालक की मनसा जानत हतो, पर तईयार न रओ और न ऊ की मनसा के अनसार चलो बिलात मार खा है।
तुम इन बातन हां जानत आव, और जदि उन पे चलो, तो तुम धन्य आव।
जितेक बातें पेंला से लिखी गईं, बे हमाई सीख के लाने लिखी गईं, कि हम धीरज और पवित्तर पोथी की सान्ति के द्वारा आसा धरें।
और अपने पे भरोसो रखत आय, कि मैं अंधरन कौ अगुवा, और अंधकार में पड़े भयन की ज्योत आओं।
कि तुम चीनो कि कौन सी बात तुमाए काजें भली आय, और जब लौ पिरभू फिन के आहें; तुम पवित्तर और बिन खोट के बने रओ।
सबरी बातन हां परखो जौन साजी होबें उन हां मानो।
कायसे बड़े जनें रोटी खात आंय, जानो बे अच्छे बुरय हां चीनत आंय।
ई लाने जौन कोई भलाई करबो जानत आय और नईं करत, ऊके लाने जा बात पाप आय।