15 बे नैम व्यवस्था की बातन हां अपने अपने हियन पे लिखी दिखात आंय, और उन की समज सोई गवाह होत आय, और उन के सोच उन हां लांछन लगात, या बिन लांछन ठैरात आंय।)
का ओई ने खुद मोए सें नईं कई, ‘बा मोरी बहन आय?’ और ऊ बईयर ने भी खुद कई, ‘ऊ मोरो भईया आय;’ मैंने तौ अपने मन के खरेपन और अपने ब्योहार की सच्चाई सें जौ काम करो।”
फिन दूसरी जातनवारे जिन लौ नैम व्यवस्था नईंयां, स्वाभाव से नैम व्यवस्था की बातन पे चलत आंय, तो नैम व्यवस्था उन लौ न होबे पे बे अपने लाने खुद नैम व्यवस्था आंय।
और जौन मान्स जाति के कारन बिन खतना के रओ, जदि बो नैम व्यवस्था हां पूरो करै, तो का तोय जौन लिखित नैम व्यवस्था आय और खतना करे जाबे पे लौ नैम व्यवस्था हां नई मानत आय, तोहां दोसी न ठैरा है?
कायसे हम अपने हिये की जा बात मानत आंय, कि और ऊ पै बड़वाई करत आंय, कि संसार में और तुमाए बीच हमाई चाल परमेसुर को भाबेवारी पवित्तर और सांची हती, और ऐसो संसार के ज्ञान से नोंई, अकेले परमेसुर की दया से भई।