11 और फिन हे जाति जाति के सब मान्सन, पिरभु कौ भजन कीरतन करो; और हे राज राज के सबरे मान्सन; ऊकी जय जयकार करो।
और फिन यशायाह अगमवकता कैत आय, यशै की एक जड़ कड़ है, और दूसरी जातवारन कौ हाकम होबे हां एक उठ है, ऊ पै दूसरी जातवारे अपनो भरोसा धर हैं।