ई लाने सबको हक्क चुकाओ, जीहां कर चानें, ऊहां कर देओ; जिए महसूल चानें, ऊहां महसूल देओ; जी से डरबो चईये, ऊसे डरो; जी कौ आदर सम्मान करो चईये ऊकौ आदर सम्मान करो।
जदि तुम पवित्तर पोथी के ई बचन अनसार बैवार करत आव, कि तें अपने पड़ोसी से अपने घांई प्रेम कर, तो सांचई तुम परमेसुर के राज की नैम हां पूरो करत आव, तो साजो करत आव।
ऐसई तो पता पड़त आय कि कौन शैतान छलिया, और कौन परमेसुर के मानबेवारे आंय; जौन धरम की गैल नईं चलत, बो परमेसुर को मानबेवारे नईंयां, और न ऊ जनो, जौन अपने भईया से प्रेम नईं करत।