1 ई लाने हे भईया हरौ, मैं तुम हां परमेसुर की दया की याद करा के बिन्तवाई करत आंव, कि अपनी देयां हां जीयत, और पवित्तर, और परमेसुर हां साजो लगबेवारो बलिदान कर के चढ़ाओ: जाई तुमाई आत्मिक सेवा आय।
और ई संसार के जैसे न बनो; पर तुमाए समज के नए हो जाबे से तुमाओ चाल सोई बदलत जाबे, जी से तुम परमेसुर की साजी और भावती, और सिद्ध अभलाखा अनुभव से मालूम करत रओ।
कि मैं दूसरी जातवारन के लाने मसीह यीशु कौ चाकर होकें परमेसुर के भले सन्देसे की सेवा याजक घांई करों; जीसे दूसरी जातवारन कौ मानो दओ जाबो, पवित्तर आत्मा से पवित्तर बनके अपनाओ जाबे।
हे भईया हरौ; हमाए पिरभु यीशु मसीह के और पवित्तर आत्मा के प्यार कौ सुमरन करा के, मैं तुम से बिन्तवाई करत आंव, कि मोरे लाने परमेसुर से बिन्तवाई करबे में मोरे संग्गै लगे रओ।
और न अपने अंगों को अधरम कौ हथियार होबे को सौंपो, पर अपने आप हां मरे भयन में से जी उठो भओ जान के परमेसुर हां सौंपो, और अंगों को धरम के हथियार होबे के लाने परमेसुर हां सौंपो।
का तुम नईं जानत, जीकौ हुकम मानबे हां तुम अपने आप हां चाकर घांई सौंप देत आव, ओई के चाकर आव: और जी की मानत आव, चाए पाप के, जीसे मौत मिलत आय, चाए हुकम मानबे से, जीकौ अन्त धार्मिकता आय।
मैं तुमाई देयां की कमजोरी के काजें मान्सन की रीत पे कैत आंव, जैसो तुम ने अपने अंगों को बुरए काम के लाने दलिद्दर और बुरए काम के चाकर कर के सौंपो हतो, ऊंसई अब अपने अंगों को पवित्रता के लाने धरम के चाकर कर के सौंप दो।
हे भईया हरौ, यीशु मसीह जौन हमाओ पिरभु आय उनईं के नाओं से मैं तुम से बिन्तवाई करत आंव, कि तुम सबई एकई बात कओ; और तुम में फूट न होबे, परन्त तुम एकई हिये और एकई विचार के बने रओ।
मोरे मन की जा चाहना आय, कि मैं कभऊं नेंचो न हेरों, परन्त हिम्मत धरों कि पिरभू की बड़ाई मोरी देह से होत रैबे, जैसो अबै होत आय, चाहे मैं जीओं और चाहे मर जाओं।
मोरे लौ सब कछु आय, और बिलात सोई आय: जौन बस्तें तुम ने इपफ्रुदीतुस के हाथन पठैई हतीं बे मोहां बहुतई साजी लगीं, बे मानो ऊ बली जैसे आय, जी की गन्ध और बलदान से परमेसुर खुस होत आय।
सो भईया हरौ, हम तुम से कैत आंय, और पिरभू के नाओं से तुम हां समझात आंय, जैसो तुमने तको आय, कि हम जैसो बे चाहत आंय, और जीसे खुस होत आय, ऊंसई रैत आंय, तुम सोई ऊंसई चलत आव सो अच्छे से आगे चलत चलो।
कायसे जदि तुम ने अधरम करके घूंसे खाए और गम्म खाई, तो ईमें का बड़वाई की बात आय? परन्त जदि साजो काम कर के पीड़ा झेलत आव और धीरज धरत आव, तो जौ परमेसुर हां साजो लगत है।