21 कायसे जब परमेसुर ने पेड़ की सई डालियन हां नईं छोड़ो, तो तोहां सोई न छोड़ है।
पर जदि कछु डालें कतर दईं गईं, और तें जौन जंगली जैतून आय ऊ में सांटो गओ, और असली जैतून की जड़ की चिकनाई को हींसावारो बनो आय।
फिन तें कै है कि डालियां ई लाने कतरी गईं, कि मैं सांटो जाओं।
सई आय, बे तो बिसवास न करबे के काजें कतरी गईं, पर तें बिसवास में बनो रैत आय, सो घमण्ड न कर पर डर के रै।
ई लाने परमेसुर की किरपा और कड़ाई हां तक! जौन गिर गए, उन पे कड़ाई, पर तो पे किरपा, जदि तें ऊ में बनो रै है तो भलो, नईं तो, तें सोई काट डालो जै है।
जीने अपने निज पुत्तर हां सोई न रख छोड़ो, पर उए हम सब के लाने दे दओ: बो ऊके संग्गै हम हां और सबई कछु काय न दै है।
तुम हां सबरी बातें एक बेर बताई आंय, परन्त फिन के बताओ चाहत आंव, कि परमेसुर ने एक बिरादरी के लोगन हां मिश्र देस से छुड़ाओ, परन्त जिन ने उनकी नईं मानी उन हां मार डालो।