जब जे बातें हो चुकीं, तो पौलुस ने अपनी आत्मा में मकिदुनिया और अखाया से होत भओ, यरूशलेम जाबे की ठानी, और कई, उते पोंचबे के पाछें मोय रोम हां भी जाबो जरूरी आय।
पर मैं तोरे आंगू जौ मान लेत आंव, की जी चाल हां जे बुरई चाल कहत आंय, ओई के अनसार मैं अपने पुरखन के परमेसुर कौ काज करत आंव: और जौन बातें रीत के अनसार आंय मानत हों, और जौन कछु आगमवक्तन के शास्त्रन में लिखी आंय, उन सब हां मानत हों।
मैं सांची कैत आंव, ईमें तनकई झूठ नईयां, कि मैं ऐई के लाने परचारक और प्रेरित बनो, कि यहूदीयन हां छोड़ दूसरी जात वारन के बीच जाई सांची बात बताबेवारो होओं।