14 और आकास ऐसो खिसक गओ, जैसे चिठिया गुड़याई होबै; और हर एक पहरवा, और टापू, अपनी जांगा से खिसक गए।
परन्त पिरभु कौ दिन भड़या घांई आ जै है, ऊ दिन आकास बड़ी हड़बड़ाहट की गरजन से जात रै है, सबरी चीजें बिलात तांती होकें पिघल जै हैं, धरती और ऊ पे के काम जल जें हैं।
और एक एक टापू अपनी जांगा से खिसक गए; और पहरवा कहां गए पता नईं पड़ो।
फिन मैंने एक बड़ो सफेद सिंहासन और जौन ऊ पै बिराजो हतो ऊहां तको, जीके सामूं से धरती और आकास भाग ठांड़े भए, और उन हां जांगा न मिली।
मैंने नए आकास और नईं धरती हां तको, कायसे पेंला धरती और आकास लोप हो गए हते, और समुन्दर सोई न रहो।