और परमेसुर कौ मन्दर जो सरग में आय, बो खोलो गओ, और ऊके मन्दर में ऊ की वाचा को सन्दूक दिखाई दओ, और बिजली कड़कड़ान लगी और धरती डोलन लगी, और बड़े बड़े ओला गिरे।
इन चारई जनावरन के छै छै पंखा हते, और उनके भीतर और चारऊ कोद आंखई आंखें हतीं; बे रात दिना बिना आराम करे जौ कहत रैत आंय, कि पवित्तर, पवित्तर, पवित्तर, पिरभू परमेसुर, महाबली, जौन पेंला हते, और अबै आंय, और जौन आबेवारे आंय।
और जब किताब हां ऊ ने लै लओ, तो बे चारई जनावर और चौबीसई प्राचीन ऊ गाड़र के बच्चा के सामूं गिर पड़े; और सबरन के हाथ में वीणा और धूप से भरे सोने के कटोरा हते, जे पवित्तर लोगन की बिन्तवारी आंय।
जब मेमना ने तीसरी मुहर हां खोलो, तो मैंने तीसरे जनावर हां जौ कैत सुनो, कि आ: सो मैंने हेरो, कि एक करिया घुड़वा आय; और ऊ पै बैठे जने के हाथ में एक तराजू आय।