और ऊ ने कई जौन हमेसा जियत रै है, और जीने सरग और जो कुछ ऊ में आय, और जो कछु धरती और ऊ पै आय, और समुद्र हां और जो कुछ ऊ में आय ऊहां रचो आय ओई की कसम खाकें कई, अब और अबेर न हुईये।
इन चारई जनावरन के छै छै पंखा हते, और उनके भीतर और चारऊ कोद आंखई आंखें हतीं; बे रात दिना बिना आराम करे जौ कहत रैत आंय, कि पवित्तर, पवित्तर, पवित्तर, पिरभू परमेसुर, महाबली, जौन पेंला हते, और अबै आंय, और जौन आबेवारे आंय।
ऐई से जे परमेसुर के सिंहासन के सामूं आंय, और उनके मन्दर में दिन रात उनकी सेवा करत आंय; और जो सिंहासन पै बिराजे आंय, बे अपनी छत्र छाया उन पै राखें रै हैं।