परन्त पिरभु कौ दिन भड़या घांई आ जै है, ऊ दिन आकास बड़ी हड़बड़ाहट की गरजन से जात रै है, सबरी चीजें बिलात तांती होकें पिघल जै हैं, धरती और ऊ पे के काम जल जें हैं।
और समुन्दर ने उन मरे भए हां जो उन में हते दे दओ, और मृत्यु और अधलोक ने उन मरे भए हां जो उन में हते दे दओ; और उन में से हर एक के कामन के अनसार उन कौ न्याव करो गओ।
कायसे मेमना जो सिंहासन के बीच में आय, बो उनकी रखनवारी कर है; और उन हां जीवन के जल के झरने लौ ले जै है, और परमेसुर उन की आंखन से सबरे अंसुआ पोंछ डाल है।