1 मैंने नए आकास और नईं धरती हां तको, कायसे पेंला धरती और आकास लोप हो गए हते, और समुन्दर सोई न रहो।
कि सबरो संसार आपई नास से छुटकारा पाके, परमेसुर की सन्तानन की मईमा की स्वतंत्रता पा है।
परन्त पिरभु कौ दिन भड़या घांई आ जै है, ऊ दिन आकास बड़ी हड़बड़ाहट की गरजन से जात रै है, सबरी चीजें बिलात तांती होकें पिघल जै हैं, धरती और ऊ पे के काम जल जें हैं।
ऊके कौल अनसार हम एक नये आकास और धरती की बाट तकत आंय, जी में धारमिकता बास कर है।
मैंने एक जनावर हां समुन्दर में से कड़त हेरो, जीके दस सींग और सात मूंड़ हते; और ऊके दसई सींग पै राजमुकुट हते, और ऊ की मूड़ पै निन्दा के नाओं लिखे हते।
फिन मैंने एक बड़ो सफेद सिंहासन और जौन ऊ पै बिराजो हतो ऊहां तको, जीके सामूं से धरती और आकास भाग ठांड़े भए, और उन हां जांगा न मिली।
और जो सिंहासन पे बिराजे हते, ऊ ने कई, कि तको, मैं सब कछु नओ करें देत आंव: और बोले लिख लेओ, कायसे जे बचन बिसवास के जोग और सांचे आंय।
और आकास ऐसो खिसक गओ, जैसे चिठिया गुड़याई होबै; और हर एक पहरवा, और टापू, अपनी जांगा से खिसक गए।