ई भांत सबरे यहूदिया, और गलील और सामरिया में मण्डली हां चैन मिलो, और ऊ की बढ़त होत रई; और बो पिरभु के डर और पवित्तर आत्मा की शान्ति में और आंगू बढ़त जात हती।
जीके कान होबें, बे सुन लेबें कि आत्मा मण्डलियन से का कैत आय: कि जो जय पाबै, मैं ऊहां जीवन दैबेवारे पेड़ में से जो परमेसुर के सरगलोक में लगो आय, ऊके फल खैबे हां दै हों।