फिन मैंने लौरे जेठे सब जनें हां मरे भए हां सिंहासन के सामूं ठांड़ो तको, और पोथी खोली गईं; और फिन एक और पोथी खोली गई, जानो जीवन की पोथी; और जैसो उन पोथियन में लिखो भओ हतो, उन के काजन अनसार मरे भयन कौ न्याव करो गओ।
ऐई से जे परमेसुर के सिंहासन के सामूं आंय, और उनके मन्दर में दिन रात उनकी सेवा करत आंय; और जो सिंहासन पै बिराजे आंय, बे अपनी छत्र छाया उन पै राखें रै हैं।