3 उन ने फिन के हल्लिलूय्याह कई: और ऊके जलबे को धुआं जुग जुग उठत रै है।
और सदोम और अमोरा, और ऊ तराई के सबरे देस कुदाऊं आंख उठाकें का हेरो कि ऊ देस में सें धधकत भई भट्टी जैसो धुआं उठ रओ आय।
जैसे सदोम और अमोरा और उनके ऐंगर के नगर, परमेसुर हां छोड़ के दूसरे हां मानन लगे हते और परतिरिया के पाछें पड़े हते, उन हां आग में बार दओ हम उन से सीख लेबें।
और ऊ आग और गन्धक को धुआं हमेसा लौ निकलत रै है, और जो ऊ जनावर और ऊ की मूरत की पूजा कर हैं, और ऊ की छाप हां लगा हैं, उन हां रात दिना कभऊं चैन न मिल है।
और ऊके जलबे को धुआं देखत भए कै हैं, कि कौन सो नगर ई बड़े नगर जैसो आय?
और एक एक राजा जिन ने ऊके संग्गै व्यभिचार, और मजा मौज में संग्गी बने रहे, जब ऊके जलबे को धुआं तक हैं, तो ऊके लाने रो हैं, और छाती पीट हैं।
ई के पाछें मैंने सरग में बहुत बड़ी भीड़ हां ऐसो कैत सुनो, कि हल्लिलूय्याह उद्धार, मईमा और बल हमाए परमेसुर के आंय।
और चौबीस प्राचीनन और चार जनावर ने घूटे पै गिरके सिंहासन पै बिराजे परमेसुर हां दण्डवत करो; और कहो आमीन, हल्लिलूय्याह।