हे कपटी शास्त्रियो, और फरीसियो, तुम पे श्राप; तुम चूने की पुती भई कबरन जैसे आव जौन ऊपरें से तो बढिया दिखाई देत आंय, पर भीतरें मुरदन की हडि्डयन और सब तरहां की गन्दगी से भरी पड़ी आंय।
कि जितेक धर्मियन कौ खून धरती पे बहाओ गओ आय, बो तुमाए मूड़ पे पड़ है, यानि धर्मी हाबिल से लैके बिरिक्याह के पूत जकरयाह लौ, जीहां तुम ने मन्दर और बेदी के बीच में मार डारो हतो।
अगमवकतन में से कीहां तुमाए बाप दादन ने नईं सताओ, उन ने ऊ धर्मी के आबे कौ सन्देसो देबेवारन हां मार डालो, और अब तुम सोई ऊके पकड़बेवारे और मार डालबेवारे भए।
कायसे ऊके न्याव सांचे आंय, उन ने ई भ्रष्ट वेश्या को जीने संसार हां अपनी काली करतूतन से बिगाड़ दओ, परमेसुर ने ऊ को न्याव करो, और अपने जने के मारे जाबे कौ पलटा ले लओ।