18 और ऊके जलबे को धुआं देखत भए कै हैं, कि कौन सो नगर ई बड़े नगर जैसो आय?
उन ने अजगर की पूजा करी, कायसे अजगर ने ऊ जनावर हां अपनो अधकार दे दओ हतो, और ऐसी कैत भए ऊ की पूजा करी, कि ई जैसो को आय?
और ऊ आग और गन्धक को धुआं हमेसा लौ निकलत रै है, और जो ऊ जनावर और ऊ की मूरत की पूजा कर हैं, और ऊ की छाप हां लगा हैं, उन हां रात दिना कभऊं चैन न मिल है।
और ऊ बड़े नगर के तीन टूंका हो गए, और दूसरे देसन के नगर सोई ढह गए, सो परमेसुर ने अपनी खीज में ऊहां अपने खुन्स के प्याले की मदरा पिया दई।
हाय! हाय! जा बाबुल नगरी जो मखमल, बेंजनी और किरमिजी उन्ना पैंरे हती, और सोने और हीरे जवाहरातन से सजी हती।