तब मांझी ने ऊके लिगां आकें कई, “तें इतै गैरी नींद में पड़ो का कर रओ आय? उठ, अपने देवता हों पुकार! हो सकत आय कि तुमाओ देवता हमाई फिकर करै, और हमाओ नास नें होबै।”
और जो दस सींग तेंने तके, बे और जनावर ऊ वेश्या से बैर धर हैं, और ऊके सबरे उन्ना उतार लै हैं और ऊहां नंगी कर दै हैं; और उकौ मांस खा जै हैं, और ऊहां आग में जला दें हैं।
और अपने मूड़ पै धूरा डाल के, रोते और किलपत भए चिल्लिया के कै हैं, हाय! हाय! जा बड़ी नगरी बाबुल जी में समुन्दर से आके जो धंधा करबेवारे धनी हो गए हते, बे घड़ी भर में उजड़ गए।