और अपने मूड़ पै धूरा डाल के, रोते और किलपत भए चिल्लिया के कै हैं, हाय! हाय! जा बड़ी नगरी बाबुल जी में समुन्दर से आके जो धंधा करबेवारे धनी हो गए हते, बे घड़ी भर में उजड़ गए।
फिन एक बली सरगदूत ने चकिया के पाट जैसो एक पथरा लैके समुन्दर में फेंक दओ, और ऐसो कहो कि जा बड़ी नगरी बाबुल ऐंसई गिराई जै है, और फिन कभऊं ऊ को पता न मिल है।