8 और परमेसुर की मईमा, और उनके बल से मन्दर धुएं से भर गओ, और जब लौ उन सात सरगदूतन की विपतें खतम न भईं, तौ लेओ कोऊ मन्दर के भीतरे न घुस पाओ।
आहा! परमेसुर कौ धन और समज बड़ी गैरी आय! ऊकौ सोचबो कि उनकी थाह न मिले, और ऊ की गैल कौ बयान नईं हो सकत।
बे सबरे जनें पिरभू के बल के जस से, उनकी सक्ती और तेज से दूर होकें अनन्त निवास में दुख भोग हैं।
फिन मैंने सरग में एक बड़ो अजीब चिन्ह तको, सात सरगदूत जिनके हांतन में पिछली सात विपत हतीं, कायसे उन के पूरे हो जाबे पै परमेसुर के कोप को अन्त आय।
परमेसुर को तेज ऊ में हतो, और ऊ की जोत बिल्लौर के समान यशब और दूसरे हीरा मोती जैसी उजरी हती।