20 और नगर के बायरें ऊ रस कुण्ड में दाखें कुचली गईं, और रस के कुण्ड में से इतनो रकत निकलो, कि नदिया घाईं सौ कोस लौ बहो, और इतनो गैरो हतो कि ठांड़े घुड़वन की लगाम लौ पहुंचो।
ऊ अपने जवान गधे हों दाख की बेल सें, और अपनी गधईया के बच्चे हों ऊंची जाति की दाख की बेल सें बांधे करहै; ऊने अपने उन्ना दाखमधु में, और अपनो पहराबो दाख के रस में धोओ आय।